होटलों ठेलो पर खुले में बेची जा रही खाद्य सामग्री प्रशासन नहीं कर रहा कार्यवाही
खुले तेल खुली रखकर बेची जा रही खाद्य सामग्री

होटलों-ठेलो पर खुले तेल से तले जा रही खाद्य सामग्री नही होती जाच लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
खाद्य विभाग नहीं करता है होटलों, किराना और बेकरी की जांच, लोगो के स्वस्थ के साथ हो रहा खिलवाड
आमला। धीरे-धीरे गर्मी रफ्तार पकडऩे लगी है। ऐसे में ढोलों, होटलों में एक ही तेल में बार-बार तली जाने वाली सामग्री आपके सेहत को प्रभावित कर सकती है। दरअसल मुनाफे के चक्कर में दुकानदार एक ही तेल में बार-बार खाद्य सामग्री तल रहे है, जो सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। बावजूद न तो होटलों-खानपान के ठेलों की जांच हुई और न ही मिलावट करने वालों पर कोई कार्रवाई, जबकि शहर के बस स्टैंड, चौक-चौराहों सहित अन्य स्थानों पर संचालित होटलों-ठेलों पर खुले में खाद्य सामग्री बनाई और बेची जा रही है। यहां रोजाना सस्ते और खुले तेल में समोसे, ब्रेडपकोड़े सहित अन्य सामग्री तली जाती है। जिसे लोग चटकारे लेकर खाते है। लेकिन इसमें मिलाए जा रहे मिर्च-मसाले गुणवत्तापूर्ण होते है या नहीं, इसकी भी जांच नहीं हो रही। खाद्य सामग्री बनाने में भी साफ-सफाई का ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आमलोगों ने भी यह बात स्वीकार की है कि खाने में समोसे सहित अन्य सामग्री चटपती और स्वादिष्ट लगे, इसके लिए होटल संचालक विभिन्न प्रकार के मसालों का उपयोग करते है। इसके ज्यादा खाने से गैस और पेट संबंधी बीमारियां घर करने लगती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं। लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो इससे इनकी नियमित जांच होना जरूरी है, लेकिन खाद्य एवं औषधी विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
विभाग की त्योहारों पर ही सक्रियता आती है नजर …………
खाद्य पदार्थों में मिलावट का खतरनाक खेल कड़े कानून के बाद भी थम नहीं पा रहा है। मिलावटी खाद्य सामग्री के उपयोग से लोगों को गंभीर बीमारियां घेरती जा रही हैं। मिलावटी, दूषित और खुले में बिक रही खाद्य सामग्री पर नजर रखने की जिम्मेदारी खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की है। वास्तविकता यह है कि विभाग खास मौकों, यानी त्योहारों पर सक्रिय नजर आता है। यह सक्रियता भी केवल नमूने लेकर जांच के लिए भेजने तक ही होती है। जांच रिपोर्ट भी 14 दिन में देने का प्रावधान है, लेकिन छह-छह महीनों तक रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। ऐसे में मिलावटखोरों के हौसले बुलंद हो गए।
आसपास गंदगी, भिनभिनाती है मक्खियां …………..
खुले में खाने-पीने की सामाग्री पर मक्खियां बैठकर बीमारियां फैला रही है। लेकिन विक्रेताओं को इससे कोई मतलब नहीं। विक्रेता चाहते हैं कि उनका सामान अधिक से अधिक बिके, इसलिए उन्हें मख्खी के बैठने के कारण होने वाली बीमारियों के खतरे से कोई मतलब नहीं होता है। होटलों, ठेलों में दुकानदार समोसा, बड़ा, जलेबी व अन्य खाने-पीने के सामान को दिनभर खुले में रखकर बेच रहे हैं। जिस पर मक्खियां बैठे रहती हैं। इससे खाद्य सामग्री दूषित हो रही है। लेकिन विभाग को परवाह नहीं। केवल विशेष तीज-त्योहारों पर जांच और नमूने लेकर कर्तव्यों की इतिश्री कर ली जाती है।
तले-भुने बासी हो चुके सामान की हो रही बिक्री ………
खाने-पीने के सामान बेचने वाले अधिक मुनाफा कमाने बासी खाद्य सामग्री को भी खपा रहे हैं। इससे लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते है और उनकी जान भी जा सकती है। इसके बाद भी इस तरह की बिक्री पर रोक नहीं लगाई जा रही है। जानकार बताते है कि होटल, ठेलों और गुमठियों पर खुला तेल इस्तेमाल किया जाता है। यह तेल ब्रांडेट और गुणवत्तापूर्ण खाद्य तेल की तुलना में करीब 10 से 15 रुपए किलो सस्ता पड़ता है। इसके चलते अधिकांश विक्रेता खुले तेल का ही काफी मात्रा में उपयोग करते है।
इनका कहना है
समय समय पर जाच की जाती है आमला में एक वर्ष में कितने सेम्पल लिए गए है इसकी जानकारी फाइल देखकर ही बता पाऊंगा वैसे तो टारगेट से ज्यादा सेम्पल लिए जा चुके है। शिकायत मिलने पर आगे भी करवाई की जाएगी
सन्दीप पाटिल खाद्य अधिकारी खाद्य औषधि प्रशासन विभाग बैतूल