129 करोड़ की सीसी सड़क का मरम्मत का काम एसडीएम के प्रयास से शुरू
दरार सड़क के गड्ढे भरने का काम शुरू

129 करोड़ की सीसी सड़क का मरमत का काम एसडीएम के प्रयास से शरू
दरार सड़क के गड्ढे भरने का काम शरू
आमला. बैतुल से बासखापा सीसी सड़क में जगह जगह दारर ओर गड्ढे हो गए थे। जिसके कारण लोगो को काफी परेशानीयो का सामना करना पड़ रहा था। सीसी सड़क निर्माण की मरमत का कार्य ठेकेदार द्वारा गैरन्टी पिरेड में नही किया गया। ना ही पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों द्वारा गारंटीपिरेड में सड़क की मरमत कराई गई। जब इसकी शिकायत एसडीएम शलेन्द्र बड़ोनिया को मिली तो उन्होंने तत्काल ही पीडब्ल्यूडी के एसडीओ राजेश राय को सड़क का निरीक्षण करने के निर्दश दिए पीडब्ल्यूडी के एसडीओ राजेश राय ने बैतुल बासखापा सीसी सड़क का निरक्षण कर पाया कि सीसी सड़क पर कही कही दारर और गड्ढे हो गए है। एसडीएम के निर्देश पर सड़क का मरमत का कार्य शुरू किया गया है। सीसी सड़क को निर्माण हुए 5 साल का समय हो गया है लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा सड़क के ठेकेदार से मरमत नही कराई गई पीडब्ल्यूडी विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्योंकि सड़क निर्माण के बाद 5 साल तक ठेकेदार को सड़क के रखरखाव करना था ठेकेदार की जिम्मेदारी थी लेकिन विभाग की साठगांठ ओर लाहपरवाही के कारण ठेकेदार ने सड़क की मरमत नही की आखिरकार अब शिकायत के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग को ही सड़क की मरमत करानी पड़ रही है।
सड़कों के किनारे भी बनी होती है पट्टी 129 करोड़ की सड़क से गयाब है सफेद पट्टी………….
सड़कों पर आपने किनारे पर भी सफेद को देखा होगा। इसका मतलब यह होता है कि आपको अपना वाहन उस पट्टी के अंदर ही रखना है। सड़क पर उस पट्टी से बाहर वाहन नहीं चलाना चाहिए, क्योंकि सड़क के अधिक किनारे गाड़ी चलाने पर दुर्घटना की संभावना हो सकती है। लेकिन बैतुल बासखापा सीसी सड़क 129 करोड़ से बनी थी सफेद पट्टी 72 किलोमीटर से गायब दिख रही है इसका मतलब सड़क पर ठेकेदार द्वारा सफेद पट्टी बनाई ही नही थी। वही ठेकेदार पर पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों ने कोई कारवाई भी नही की गई है। इस मतलब साफ है कि पीडब्ल्यूडी विभाग की बड़ी साठगांठ के चलते ठेकेदार को फायदा पहुचाया गया है। ठेकेदार सहित पीडब्ल्यूडी विभाग के आला अधिकारियों पर लोगो ने कारवाई की मांग की है।
5 साल में बैतूल से बासखापा सड़क पर नहीं बने फुटपाथ और डिवाइडर, रोज हो रहे हादसे
बैतूल-बांसखापा सड़क निर्माण को करीब साढ़े 5 साल से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन अब तक फुटपाथ और डिवाइडर भी नहीं बनाए है। सड़क पर डिवाइडर नहीं बनने से सड़क पर रोजाना वाहन चालकों को ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। दरअसल बैतूल से बांसखापा तक 129 करोड़ से 72 किमी सड़क का निर्माण हुआ था जिसमे कई जगहों पर फुटपाथ ओर डिवाइडर का निर्माण किया जाना था लेकिन लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने ठेकेदार को फायदा पहचाने के एवज में फुटपाथ ओर डिवाडर का काम नही करवाया जानकारी है कि इसमें शहर के बस स्टैंड से चंद्रभागा नदी तक सड़क के बीचोंबीच डिवाइडर बनाया जाना था। एस्टीमेट में डिवाइडर निर्माण भी शामिल था, लेकिन ठेकेदार ने ना तो डिवाइडर बनाया और ना ही फुटपाथ का निर्माण हुआ है।
सड़क की लंबी कहानी………
बैतूल से छिदवाड़ा सीमा पर स्थित नागदेव मंदिर तक आमला-बोरदेही होकर 72 किलोमीटर लंबी सीमेंट कांक्रीट सड़क का काम 129.60 करोड़ रूपए की लागत टसे चल रहा है। इस काम के लिए वर्क ऑर्डर 20 जून 2016 को जारी हुआ था और एमकेसी कंपनी ने अक्टूबर 2016 में काम शुरू किया था। वर्क ऑर्डर की शर्तों के अनुसार कंपनी को यह काम जून 2018 तक पूरा करना था, कंपनी की धीमी रफ्त्तार तो कुछ स्थानों पर जमीनी विवाद के चलते काम समय सीमा के अनुसार पूरा नहीं हो सका। यही कारण था कि जून 2018 में काम पूटा नहीं होने पर कंपनी ने दिसम्बर माह तक का एक्सटेंशन मांगा था। लेकिन उसके बाद भी कम्पनी ने समय सीमा में काम पूरा नही किया था।
किसानों के बीच हुआ था विवाद…………
बरसाली के पास यह समस्या हो है कि पूर्व में जिस किसान की जमीन अधिग्रहित की गई थी, उसका खेत दूसरी ओट भी होने के कारण मानवीयता के नाते विभाग ने उसके खेत के बगल से सड़क बना ली थी। सड़क का चौड़ीकरण किया जाना था तो सड़क उस किसान के खेत से निकल रही थी जिसकी जमीन अधिग्रहित ही नहीं की गई थी। उसे चूंकि मुआवजा नहीं मिला तो वह अपनी जमीन देने को तैयार भी नहीं हुआ। यही कारण है कि यहां 300 मीटर में सड़क ही नहीं बन पाई। सड़क को लेकर दोनों किसानों के बीच भारी विवाद भी हो गया। अब विभाग ने मामला राजस्व विभाग को सौंपा है। इसका जल्द हल
निकाले जाने की उम्मीद है।