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पानी की शुद्धता की विभाग नहीं करते जांच लोग हो सकते है बीमार

आर ओ के पानी की नहीं हो रही जांच

पानी की शुद्धता की विभाग नहीं करते जांच, लोग हो सकते है बीमार

शहर में आरओ के नाम पर धड़ल्ले से बिक रहा पानी

फोटो –

आमला। शहर में मानकों की अनदेखी कर कंटेनरों (कैम्पर) में पानी भर कर बेचने का धंधा तेजी पर है। शहर में बगैर अनुमति आधा दर्जन आरओ प्लांट चल रहे हैं, जिनकी मानक की जांच करने की जिम्मेदारी खाद्य सुरक्षा औषधि विभाग की है, पर इनकी नियमित जांच नहीं हो रही है। ज्ञात रहे कि दुकानों, प्रतिष्ठानों में मिनरल वाटर की डिमांड बढ़ते ही पानी का व्यापार करने वालों की संख्या बढ़ गई है। स्थिति यह है कि शहर में भी लोग आधा दर्जन से अधिक आरओ प्लांट लगाकर कंटेनर से पानी आपूर्ति कर रहे है। यहां तक कि ग्रामीण इलाकों में भी विभिन्न वाहनों से घरों तक पानी पहुंचाया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक आमला व आसपास आधा दर्जन से अधिक प्लांट लगे हैं और यहां से प्रति दिन 500 से एक हजार से ज्यादा कंटेनर पानी की आपूर्ति की जा रही है। जबकि आरओ प्लांट लगवाने के पहले खाद्य सुरक्षा औषधि विभाग में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। खाद्य सुरक्षा सुरक्षा औषधि विभाग द्वारा अब तक किसी प्लांट की न तो जांच की गई है और न ही कार्रवाई ही की गई है। वहीं नपा भी मौन है। आरओ के पानी को लेकर हर विभाग अपनी जिम्मेदारी से कन्नी काट रहा है। जिसका परिणाम यह है कि मानकों को पूरा किए बगैर का बिजनेस चल रहा है।

मानकों पर खरे नहीं आरओ प्लांट …………….

जानकारी के मुताबिक आरओ प्लांट को रजिस्टर्ड कराने के लिए 27 तरह की जांच होती है। प्रावधान के अनुसार हर आरओ प्लांट में प्रयोगशाला के साथ दो केमिस्ट होने आवश्यक हैं, जो प्रतिदिन पानी की जांच करेंगे। लेकिन केमिस्ट व प्रयोगशाला तो दूर आरओ प्लांट के द्वारा पानी के खाली जारों की भी अच्छे से धुलाई नहीं की जाता है। जबकि आरओ प्लांट के लिए कॉमर्शियल वाटर कनेक्शन लेकर ही बिजनेस किया जा सकता है। आवासीय कनेक्शन पर प्लांट चलाना अपराध है। बावजूद इसके नगर में बिना जांच किए ही पानी सप्लाई किया जा रहा है। अनुमान के मुताबिक आरओ के नाम पर शहर में प्रतिदिन 50 हजार लीटर पानी सप्लाई किया जा रहा है।

बिना जांच के लोग शुद्ध समझकर पी रहे पानी …………..

शुद्धता का दावा कर बिना किसी जांच के शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से वाटर कैन की सप्लाई की जा रही है। कैन का यह पानी शुद्ध है या नहीं इसे लेकर लोगों की संदेह बना रहता है। इसके बावजूद प्रतिदिन हजारों लीटर पानी की शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा रहा है। लोग भी शुद्ध जल के नाम पर इन कैनों का पानी पी रहे हैं। गर्मी में लोग वाटर कैन अधिक लेते हैं इसलिए आरओ प्लांट की जांच होना आवश्यक है। इन प्लांट में पानी कैसे शुद्ध किया जा रहा है अथवा नहीं, इसकी जांच किसी भी विभाग द्वारा जांच नहीं की जा रही है। मामले में नपा के प्रभारी सीएमओ ने बताया कि पानी की जांच होना आवश्यक है, मैं इस मामले को दिखवाता हूं। इसके बाद ही यह पता चल सकेगा कि पानी पूरी तरह शुद्ध है या मात्र पानी ठंडा करके दिया जा रहा है।

बीमारियों के चपेट में आ सकते है बच्चे और लोग …………….

शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में आरओ प्लांट संचालित किए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि पानी के व्यवसाय के लिए जो भी नियम कानून बने हैं उसका प्लांट संचालकों द्वारा पालन किया जा रहा है या नहीं, इसकी जांच नहीं होती है। आरओ प्लांट के नाम पर धड़ल्ले से 20 रुपए कैन के हिसाब से पानी की बिक्री की जा रही है। इस संबंध में सिविल अस्पताल के बीएमओ डॉ. अशोक नरवरे का कहना है कि अशुद्ध पानी के सेवन से लोग बीमार पड़ सकते है। खासकर बच्चे यदि गंदा पानी पीते है तो उन्हें पीलिया, डायरिया सहित अन्य बीमारियों के होने का खतरा रहता है, क्योंकि बच्चों की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होने से वह जल्दी बीमारियों की चपेट में आ जाते है।

इनका कहना है –
जहां तक मेरे संज्ञान में यह है कि अभी तक आरओ पानी बेचने वाले प्लांट की जांच नहीं हुई है। मैं सोमवार ही इस संबंध में जांच और दस्तावेज देखने के लिए निर्देश देता हूं।
– प्रकाश देशमुख, प्रभारी सीएमओ, नपा आमला

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