गुड घानो की जांच के नाम मात्र औपचारिकता सही तरीके से नहीं हो पा रही जांच
गुड घानो की सही की जाए जांच

गुड घानों की जांच के नाम पर मात्र औपचारिकताएं, नहीं हो रही सूक्ष्म जांच
बिना सेम्पल, बिना जांच खाद्य अधिकारी ने दे दी क्लीन चिट
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आमला। गुड घानों की जांच को लेकर अधिकारियों का रूख उदासीन है। यहीं वजह है कि गुड घानों पर नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। खासकर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ के मामले में, क्योंकि अधिकांश गुड घानों पर गुड को चमकदार बनाने के लिए केमिकल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, किन्तु जब जंबाड़ा रोड पर खाद्य विभाग के अधिकारी संदीप पाटिल गुड घानों पर निरीक्षण के लिए पहुंचे तो उन्होंने बिना सेम्पल लिये और जांच किये ही केमिकल मिलने की बात से इंकार कर दिया। जो सीधे-सीधे गुड घाना संचालकों को संरक्षण देने जैसा साबित हो रहा है। दरअसल आमला ब्लाक के ग्रामीण क्षेत्रों में करीब आधा सैकड़ा से अधिक गुड घाने संचालित हो रहे है, जहां गुड़ का रंग साफ करने के लिए कुछ गुड़ निर्माता रसायनयुक्त पदार्थों और ऐसे तेल का इस्तेमाल कर रहे है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से पूर्णत: वर्जित हैं। बावजूद औषधी एवं प्रशासन विभाग दुकानों पर बिकने वाली सामग्री आदि की तो जांच करते है, लेकिन कभी गुड़ के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले घातक रसायन पदार्थों का निरीक्षण नहीं करते। यही कारण है कि गुड़ बनाने वाले धडल्ले से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रसायनों का उपयोग कर रहे हंै।
न सेम्पल लिये और न की जांच, पहले दे दी क्लिन चिट ……
निरीक्षण के दौरान खाद्य विभाग के अधिकारियों ने न तो गुड का सेम्पल लिया और न ही सेम्पल को जांच के लिए भेजा, उससे पहले ही अधिकारियों ने गुड घाना संचालकों के घानों पर खड़े रहकर स्पष्ट कह दिया कि गुड में कोई केमिकल नहीं मिलाया गया है। इससे स्पष्ट है कि अधिकारी खुद गुड घाना संचालकों को शय देने में लगे हुए है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि भविष्य में केमिकलयुक्त गुड से सेहत को नुकसान होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा, यह बड़ा सवाल है। बता दे कि शुद्ध गुड़ का रंग वास्तव में डार्क ब्राउन होता है। गुड़ में हल्का सा सफेद या पीलापन होना बताता है कि इसमें केमिकल का इस्तेमाल किया गया है। सफेद या लाइट ब्राउन गुड़ में केमिकल या आर्टिफिशियल रंगों का इस्तेमाल किया जाता है।
गंदगी के बीच बन रहा गुड, फिर भी अधिकारी मौन ………….
शनिवार को अधिकारियों ने आमला क्षेत्र में संचालित गुड घानों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान घानों पर जगह-जगह गंदगी फैली थी, लेकिन अधिकारियों ने इसे भी अनदेखा कर दिया, जबकि अधिकारियों के साथ मौजूद अन्य लोग घानों पर मौजूद गंदगी के कारण नाक पर रूमाल रखकर खड़े रहते देखे गये। लेकिन अधिकारियों की गुड घानों की जांच के प्रति उदासीनता बरतना, कहीं न कहीं अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न खड़ा करता है। जानकार बताते है कि खाद सुरक्षा नियम के तहत हर खाद्य वस्तुओं की पूर्ण जांच के बाद ही बाजार में बेचने के लिए एप्रुवल दिया जाना चाहिए।
इनका कहना है
आज जम्बाड़ा मार्ग पर दो खम्बा गुड़ घानो की जांच की गई है सेम्पल नही लिए गए है कैमिकल डालकर कोई भी मिल संचालक द्वारा गुड़ नही बनाया जा रहा है 200 मिल में से 90% मिलो के पास लाइसेंस है।
सन्दीप पाटिल खाद्य अधिकारी बैतूल