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हल्दी कुमकुम एक नई पहल मकर संक्रांति पर मनाया जाने वाला हल्दी कुमकुम हमारी पारंपरिक परंपरा है

हल्दी कुमकुम एक नई पहल

हल्दी कुमकुम एक नई पहल

मकर संक्रांति के पावन त्यौहार के दौरान मनाया जाने वाला हल्दी कुमकुम हमारी पारंपरिक परंपरा है जो नारीत्व के सार को उजागर करती है इसी उपलक्ष्य में आज श्रीमती माधुरी चौधरी द्वारा अपने रेल आवास रेलवे कॉलोनी में संक्रांति के पावन पर्व पर महिलाओं का हल्दी कुमकुम का कार्यक्रम रखा गया जिसमें महिलाओं को हल्दी कुमकुम के साथ वान स्वरूप गमला भेंट किया गया जो पर्यावरण की दृष्टि से एक अच्छी पहल है जो समाज में एक अच्छा संदेश जाता हैं। इस नई पहल की सभी सम्माननीय महिलाओं ने काफी प्रशंसा की है। साथ ही दर्जनों महिला उपस्थित रही साथी प्रति वर्ष अनुसार एक दूसरे को सुहाग की सामग्री भेंट की और अपनी संस्कृति को बचाने के लिए आयोजन सनातन धर्म को एक जूटता दिखाई दी इस हल्दी कुमकुम के साथ धार्मिक भजन का घंटों
कार्यक्रम भी चला रहा विशेष रूप से मौजूद रहे भावना पंत , कविता सूर्यवंशी, रोशनी चौधरी, रजनी पाल, लता कोसे, रजनी झरबड़े, रश्मि साहू ,रश्मि चौकीकर, अनीता साहू ,क्षमा झा, पिंकी, सुमन मौजूद रहे

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